नई दिल्ली: भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले ही लिया। ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार की रात भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेनाओं और एस-400 डिफेंस सिस्टम ने पूरी तरह नाकाम कर दिया। लड़ाकू विमानों, ड्रोन, रॉकेट व मिसाइलों के जरिए पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, फिरोजपुर, कपूरथला, जालंधर व जैसलमेर के सैन्य ठिकानों और आयुध केंद्रों पर हमला किया। भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई लड़ाकू विमान मार गिराए।
वहीं, वायुसेना के साथ ही नौसेना ने भी अरब सागर में अभियान शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि अरब सागर में INS विक्रांत ने पाकिस्तान के अहम कराची पोर्ट को तबाह कर दिया है। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि इस हमले से खार खाया पाकिस्तान अब समंदर में पलटवार कर सकता है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर बौखलाहट में कुछ गड़बड़ कदम उठा सकते हैं, जो खुद उनके और पूरे पाकिस्तान के लिए आत्मघाती हो सकता है। मगर, मुनीर शायद यह भूल गए होंगे कि 1971 की जंग के दौरान भी भारत ने एक ऐसा घाव दिया था, जिससे पाकिस्तान आज तक उबर नहीं सका। जानते हैं भारतीय नौसेना की गौरव गाथा।
मेजर जनरल इयान कार्डोजो की किताब-द सिंकिंग ऑफ INS खुकरी और एडमिरल एसएम नंदा की किताब-द मैन हू बॉम्बड कराची के अनुसार, PNS गाजी एक अमेरिकी पनडुब्बी थी, जिसे अमेरिका ने बनाया था। पाकिस्तान ने इसे 1963 में अमेरिका से किराए पर लिया था। इस पनडुब्बी ने 18 साल तक अमेरिकी सेना में काम किया। उस समय इसका नाम USS डियाब्लो था। अयूब खान की सरकार ने इसे अमेरिका से चार साल के लिए खरीदा था। ये सब अमेरिका की एक नीति के तहत हो रहा था, जिसके तहत वो रूस को बढ़ने से रोकना चाहता था।
यह एक रहस्य ही है कि अरब सागर में पाकिस्तान का जंगी बेड़ा गाजी कैसे डूब गया था। इस पनडुब्बी को INS विक्रांत को डुबोने का काम सौंपा गया था। मगर, यह खुद ही रहस्यमय परिस्थितियों में डूब गई। कुछ लोगों का मानना है कि इसे अरब सागर में भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े ने डुबो दिया था।
पाकिस्तान की ओर से हमले की शुरुआत होते ही भारत ने तत्काल एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया। सूत्रों का कहना है कि इन वायु रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तान की आठ मिसाइलों और 30 से अधिक ड्रोन को मार गिराया। दो ड्रोन जम्मू यूनिवर्सिटी के पास गिराए गए, जबकि एक मिसाइल को सांबा सेक्टर में गिराया गया है।
पठानकोट में भी एक ड्रोन को मार गिराया गया। जैसलमेर में भी कई मिसाइलें गिराई गईं। पाकिस्तान के हमले के बाद पूरे जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट, जैसलमेर और भुज में ब्लैक आउट कर दिया गया।
PNS गाजी एक अमेरिकी ट्रेंच क्लास पनडुब्बी थी। पाकिस्तान ने इसे 1963 में अमेरिका से लीज पर लिया था। तकनीकी रूप से इसे अमेरिका ने लीज पर दिया था। मगर, यह भारत पर बढ़ते सोवियत प्रभाव का मुकाबला करने के लिए था। इसने 18 साल तक अमेरिकी नौसेना में USS डियाब्लो के रूप में सेवा की (1945 से 1963 तक)। अयूब खान प्रशासन ने इसे कैनेडी प्रशासन से चार साल के लिए सुरक्षा सहायता कार्यक्रम के तहत खरीदा था। यह कार्यक्रम अमेरिका की सोवियत विरोधी नीति से ज्यादा कुछ नहीं था।
भारतीय नैसेना के एक और जंगी बेड़े INS राजपूत ने सीक्रेट रूप से विशाखापत्तनम नौसेना बेस पर डेरा डाल दिया, जहां INS विक्रांत को होना था। PNS गाजी 3 दिसंबर को चुपचाप विशाखापत्तनम बंदरगाह में प्रवेश कर गई। इस बीच, INS राजपूत ने कुछ बुलबुले देखे जो एक पनडुब्बी की मौजूदगी बता रहे थे। फिर तो राजपूत ने ताबड़तोड़ बमबारी करनी शुरू कर दी। 4 दिसंबर की सुबह को दुनिया को पता चला कि समंदर में PNS गाजी का मलबा मिला है। वैसे तो INS राजपूत को PNS गाजी को मारने का श्रेय दिया जाता है।
पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी समंदर में कैसे डूबी, इसे लेकर अब भी तरह-तरह की राजदार कहानियां आती रहती हैं। कुछ कहते हैं कि आईएनएस राजपूत ने जो बम दागे, वो PNS गाजी से टकरा गए और वो फट गई। भारतीय नौसेना यही मानती है। दूसरी आशंका यह है कि PNS गाजी वहां बम लगा रही थी और गलती से वो अपने ही बमों से टकरा गई, जिससे धमाका हो गया। पाकिस्तान की नेवी का यही मानना है।
तीसरी आशंका जो सबसे ज्यादा बताई जाती है कि पनडुब्बी गाजी में हाइड्रोजन गैस बन रही थी, जो बेहद ज्वलनशील होती है। हाइड्रोजन गैस में जरा सी चिंगारी लगने से आग लग सकती थी और इससे PNS गाजी पर रखे गोला-बारूद में भी आग लग सकती थी।
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