वैश्विक बाजारों में पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक निर्यात को दो लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए प्रोत्साहन की जगह छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाया जाएगा। इससे भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने और ई-कॉमर्स निर्यात को प्रोत्साहित करने में भी मदद मिलेगी।
शुक्रवार को घोषित बहुप्रतीक्षित नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी)-2023 में यह लक्ष्य तय किया गया है। यही नहीं, नई नीति में यूपी के तीन समेत 4 शहर निर्यात के उत्कृष्ट केंद्र (टीईई) बनाए जाएंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई नीति की घोषणा करते हुए बताया कि यह एक अप्रैल यानी शनिवार से लागू हो जाएगी। इससे न सिर्फ चीन को झटका लगेगा बल्कि दुनियाभर में मेक इन इंडिया का डंका बजेगा। विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष सारंगी ने कहा कि वैश्विक हालात व जरूरत को देखते हुए समय-समय पर नीति को अपडेट किया जाएगा।
सब्सिडी पर निर्भरता खत्म करें
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने जोर दिया कि भारतीय निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना होगा। सब्सिडी पर निर्भरता खत्म करनी होगी।
एफटीपी से इन मोर्चों पर मिलेगी मदद
प्रोत्साहन से छूट आधारित व्यवस्था की ओर बढ़ना।
निर्यातकों, राज्यों, जिलों और भारतीय मिशनों के बीच सहयोग को बढ़ाना।
लेनदेन की लागत में कमी लाने में मिलेगी मदद।
देश में अधिक-से-अधिक निर्यात हब विकसित करना।