संसद के बजट सत्र के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की पहनी गई एक खास जैकेट इन दिनों बाजार में चर्चा में है। प्लास्टिक बोतलों को रिसाइकिल करके बनाई ये जैकेट की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में बढ़ती जा रही है। पश्चिम एशिया और यूरोप कई देश निर्माता कंपनी को जैकेट बनाने के आर्डर दे रहे है। हाल ही में पीएम मोदी जी 7 शिखर सम्मेलन में ऐसी ही एक खास जैकेट पहन चुके हैं। इस जैकेट को भी प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर तैयार किया गया था।
तमिलनाडु के कपड़ा राजधानी कहे जाने वाले करूर शहर की कंपनी श्रीरेंगा पॉलीमर्स और फैशन ब्रांड ईकोलाइन क्लोदिंग (ईकोलाइन) ने पीएम मोदी के लिए इस खास जैकेट को तैयार किया था। श्रीरेंगा पॉलिमर्स PET बोतलों को रिसाइकिल कर वस्त्रों का निर्माण करती है। कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर सेंथिल शंकर का कहना है कि जब से पीएम मोदी ने इस जैकेट को संसद में पहना है, इसके बाद से इस जैकेट की डिमांड बढ़ गई हैं। बीते तीन महीने से कंपनी के फोन लगातार बज रहे हैं। हर कोई इस जैकेट के बारे में जानकारी चाह रहा है। इसके अलावा विदेश से भी हमें इसे तैयार करने के आर्डर भी मिल रहे है। इस एक जैकेट बनाने के लिए लगभग 20-28 बोतलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी रिटेल सेल 2,000 रुपये तक होती है।
बढ़ती डिमांड और मांग के चलते श्रीरेंगा पॉलिमर्स अपनी क्षमता से दोगुना काम करने के लिए तैयार है। इसके तहत रोजाना 15 लाख पीईटी बोतलों से लेकर 45 लाख बोतलों की रीसाइक्लिंग करनी होगी। आने वाले पांच सालों में कंपनी इस उद्योग में करीब 250 करोड़ का निवेश करने की संभावना जता रही है। इसमें 100 करोड़ रुपये देश में इस तरह की अन्य इकाइयों के विस्तार के लिए होंगे। जबकि 150 करोड़ रुपये मार्केटिंग पर खर्च किए जाएंगे। यह भारत की पहली ऐसी कंपनी है, जिसके पास इस क्षेत्र में रिसाइक्लिंग से लेकर धागे और फाइबर बनाने के साथ ही उसके प्रोडक्ट बनाने की क्षमता है।
शंकर का कहना है कि पीएम के जैकेट पहनने के बाद से ही लोग पूछताछ कर रहे है। पश्चिम एशिया और यूरोप देशों से भी लोग इसके बारे में जानकारी ले रहे हैं। फिलहाल हम हर महीने 1,000 टन बोतलों को जुटा रहे हैं और हर दिन करीब 15 लाख बोतलों को रिसाइकिल कर रहे हैं। कुछ वर्षों में यह प्रतिमाह 3,000 टन और 45 लाख बोतलें हो जाएंगी। फिलहाल हम केवल ऑनलाइन व्यवसाय कर रहे हैं। बढ़ती डिमांड के चलते कंपनी ने दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, दुबई और अमेरिका में एक गोदाम खोला है।
ऐसे तैयार होती है जैकेट
PET बॉटल को जब लोग उपयोग कर फेंक देते हैं, तो कूड़ा बीनने वाले उन्हें उठाकर बाजार में सप्लायर्स या कबाड़ी तक पहुंचाते हैं। सप्लायर्स इसे कंप्रेस कर देते हैं। इन बोतलों के रैपर्स व कैप आदि हटा दिए जाते हैं। फिर इनको क्रश किया जाता है। क्रश करने के बाद इनको सुखाया और फिर पिघलाया जाता है। फिर इनके फाइबर्स को रिसाइकिल किया जाता है। इसके बाद प्रोसेसिंग कर इनको पॉलिएस्टर फाइबर में बदला जाता है। फिर इस पॉलिएस्टर फाइबर को कपड़े बनाने के लिए प्रोसेसिंग कर धागा या कपड़ा बनाया जाता है। प्लास्टिक बोतल से बने गारमेंट की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि इसे कलर करने में एक बूंद पानी की भी इस्तेमाल नहीं होता है। कॉटन को कलर करने में बहुत पानी बर्बाद होता है। लेकिन PET बोतल से बने गारमेंट में डोप डाइंग का इस्तेमाल होता है। बोतल से पहले फाइबर बनाया जाता है और फिर इससे धागा तैयार किया जाता है। धागा से फिर फैब्रिक बनता है और फिर सबसे अंत में गारमेंट तैयार किया जाता है।