देश में एक बार फिर दो दुग्ध ब्रांडों के बीच विवाद छिड़ गया है। इस बार भी विवाद अमूल को लेकर है जो पिछ्ले महीने कर्नाटक के स्थानीय ब्रांड नंदिनी के साथ चर्चा में था। अब एक और दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के ब्रांड आविन के कारण गुजरात के ब्रांड अमूल की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
आविन क्या है?
तमिलनाडु में 1981 से डेयरी सहकारी समितियां काम कर रही हैं। ये समितियां ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं को लाभान्वित करती हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाली आविन राज्य सरकार की सहकारी संस्था है।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अनुसार, आविन के अंतर्गत लगभग 9,673 सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही हैं। ये समितियां लगभग 4.5 लाख सदस्यों से प्रति दिन 35 लाख लीटर दूध खरीदती हैं।
आविन तमिलनाडु में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए पशु आहार, चारा, खनिज मिश्रण और पशु स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन सेवाओं जैसे विभिन्न संसाधन उपलब्ध कराता है। सबसे अहम विशेषता के रूप में यह देश के कुछ सबसे कम कीमतों पर उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले दूध और डेयरी उत्पाद बेचता है। इस प्रकार आविन ग्रामीण दूध उत्पादकों की आजीविका में सुधार लाने और उपभोक्ताओं की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अमूल क्या है?
अमूल की स्थापना 1946 में हुई थी जो भारत का सबसे बड़ा दूध ब्रांड है। GCMMF के अनुसार, 2021-22 में 18,500 से अधिक ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियों से इसकी दैनिक दूध खरीद लगभग 2.6 करोड़ लीटर प्रति दिन है। इसमें लगभग 33 जिलों और 36.4 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों को कवर करने वाले 18 सदस्य संघ हैं।
कंपनी के मुताबिक, GCMMF भारत में डेयरी उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसके उत्पाद अमेरिका, सिंगापुर, जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और खाड़ी देशों में उपलब्ध हैं। यह रोजाना 41 लाख लीटर दूध का प्रबंधन करता है। 2022-23 में, GCMFF ने 55,055 करोड़ रुपये का कारोबार किया जो पिछले वित्त वर्ष से 18 प्रतिशत अधिक है।
तो तमिलनाडु में अमूल बनाम आविन विवाद क्या है?
दरअसल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनसे अमूल को तत्काल प्रभाव से दक्षिणी राज्य में दूध की खरीद बंद करने का निर्देश देने का आग्रह किया। उनके मुताबिक, अमूल आविन के मिल्क शेड से दूध खरीद रहा है और दक्षिणी राज्य में अपने उत्पाद बेच रहा है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि यह तमिलनाडु के लोगों के साथ अच्छा नहीं हुआ है। साथ ही उन्होंने अमूल को राज्य में खरीद गतिविधियों को तत्काल बंद करने का निर्देश देने को कहा है।
स्टालिन ने कहा कि हाल ही में, यह राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि अमूल ने कृष्णागिरी जिले में चिलिंग सेंटर और प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए अपने बहु-राज्य सहकारी लाइसेंस का उपयोग किया है। साथ ही, अमूल ने तमिलनाडु में कृष्णागिरी, धर्मपुरी, वेल्लोर, रानीपेट, तिरुपथुर, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जिलों में और उसके आसपास एफपीओ और एसएचजी के माध्यम से दूध खरीदने की योजना बनाई है।
सीएम ने कहा कि देश में सहकारी समितियों को एक-दूसरे के मिल्क-शेड क्षेत्र का उल्लंघन किए बिना फलने-फूलने की अनुमति देने की प्रथा रही है। इस तरह की क्रॉस-प्रोक्योरमेंट 'ऑपरेशन व्हाइट फ्लड' की भावना के खिलाफ जाती है। आगे उन्होंने कहा कि यह स्थिति देश में दूध की मौजूदा कमी को और खराब कर सकती है और उपभोक्ताओं को प्रभावित कर सकती है।
सीएम ने पत्र में कहा, 'तमिलनाडु में संचालित करने के लिए अमूल का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है, आविन के लिए अहितकर है और सहकारी समितियों के बीच अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा।' स्टालिन ने यह भी कहा कि अब तक अमूल केवल अपने आउटलेट्स के माध्यम से तमिलनाडु में उत्पाद बेचता था।
उधर पूरे विवाद में कांग्रेस की भी एंट्री हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने स्टालिन के पत्र के समर्थन में लिखा, 'पहले नंदिनी। अब आविन। यह सब गेमप्लान का हिस्सा है।'
अमूल बनाम नंदिनी विवाद क्या था?
बीते दिनों देश की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक कंपनियों में से एक अमूल और कर्नाटक के स्थानीय ब्रांड नंदिनी को लेकर विवाद की स्थिति शुरू हुई थी। दरअसल, पांच अप्रैल को गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (GCMMF), जो कि अपने डेयरी उत्पाद अमूल ब्रांड के अंतर्गत बेचता है, ने ट्वीट कर कर्नाटक में एंट्री की जानकारी दी थी। अमूल के इस ट्वीट के बाद कर्नाटक में राजनीति भी शुरू हो गई।
राजनीतिक दलों ने उस वक्त राज्य में होने वाले चुनाव के मद्देनजर एक नए ब्रांड की एंट्री को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां के विपक्षी दलों कांग्रेस और जेडीएस ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन भाजपा सरकार लोकल ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश कर रही है।
वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा था कि कांग्रेस को हर चीज में राजनीति करनी है। बेंगलुरु के एक होटल संगठन बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने शहर में अमूल के उत्पादों का बहिष्कार का एलान किया था। साथ ही इसने कर्नाटक के किसानों को समर्थन देने के लिए सिर्फ लोकल ब्रांड नंदिनी का ही प्रयोग करने को कहा था।
पिछले साल अमित शाह के बयान ने भी छेड़ी थी रार
इससे पहले विवाद पहली बार दिसंबर 2022 में शुरू हुआ जब अमित शाह ने मांड्या में एक जनसभा के दौरान सहकारी-मॉडल-आधारित डेयरी कंपनियों, अमूल और नंदिनी के बीच सहयोग का आह्वान किया था। इस बयान का विरोधी दलों ने आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि उस समय की सत्ताधारी भाजपा सरकार नंदिनी को अमूल के साथ मिलाने का प्रयास कर रही थी।
उनका मानना था कि यह कदम कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड के लिए विनाशकारी हो सकता है। उधर कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड द्वारा भी अमूल और नंदिनी विलय की बात को खारिज कर दिया गया था।