टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता में आने पर मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। दरअसल, राज्य में मुस्लिम मतदाता 40 से 50 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं। नायडू इस घोषणा के जरिये इस वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
चुनाव में राजग से जुड़े कई क्षेत्रीय दल भाजपा की सिरदर्दी बढ़ा रहे हैं। कर्नाटक में पार्टी अपनी सहयोगी जद (एस) से जुड़े नेताओं प्रज्वल रेवन्ना और एचडी रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल में उलझी है। इसी बीच आंध्र प्रदेश में पार्टी की सहयोगी टीडीपी ने ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटे का समर्थन किया है। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी समेत पूरी भाजपा विपक्ष पर हमलावर है और इसे ओबीसी की हकमारी से जोड़ रही है।
बिहार में जदयू समेत दूसरे सभी सहयोगी भाजपा पर निर्भर हो कर चुनाव लड़ रहे हैं। सभी सहयोगी दल अपने हिस्से की सीट पर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जनसभा कराने पर जोर दे रहे हैं। यहां भाजपा की रणनीति सहयोगियों की बदौलत राजद के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण से पार पाने की है। साल 2014 के चुनाव में पार्टी ने लोजपा, कुशवाहा के साथ तो बीते चुनाव में लोजपा, जदयू के साथ सफल सोशल इंजीनियरिंग की थी।
टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता में आने पर मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। दरअसल, राज्य में मुस्लिम मतदाता 40 से 50 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं। नायडू इस घोषणा के जरिये इस वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
यूपी में बीते एक दशक से पार्टी के सहयोगी रहे दल के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, हर बार चुनाव से पहले संयुक्त रणनीति बनाने के लिए राजग की बैठक होती थी।
बीते चुनाव में भी पीएम मोदी गठबंधन के नेताओं के साथ भोज में मिले थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। दो चरण के मतदान संपन्न होने के बावजूद सहयोगी दलों को प्रचार के लिए पूछा नहीं जा रहा। कहीं भी संयुक्त प्रचार की रणनीति नहीं है।
यूपी में पहले दो चरणों में एक बार आरएलडी प्रमुख जयंत संयुक्त जनसभा में दिखे, बिहार में इसी प्रकार सीएम नीतीश दो बार संयुक्त जनसभा में दिखे। इसके बाद ऐसा कोई संयोग नहीं बना।
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