भुवनेश्वर: ओडिशा के चंदका वन्यजीव अभयारण्य में एक अनोखा रेस्तरां खोला गया है। इस रेस्तरां में हाथियों को खाना खिलाया जाता है। यह रेस्तरां खास तौर पर उन हाथियों के लिए है जिन्हें वन अधिकारियों ने बचाया है और कुमकी हाथी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। चंदका वन्यजीव अभयारण्य ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के पास स्थित है। इस रेस्तरां में हाथियों के लिए खाने का समय तय है और उन्हें पौष्टिक भोजन दिया जाता है। रेस्तरां का मेन्यू पूरी तरह से शाकाहारी है और इसमें नाश्ता और दोपहर का भोजन शामिल है।
इस अनोखे रेस्टोरेंट के पीछे का विचार हाथियों को नियमित दिनचर्या और पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, जो उनके प्रशिक्षण के लिए आवश्यक है। मुख्य संरक्षक सुशांत नंदा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए नियमित दिनचर्या और पौष्टिक भोजन आवश्यक है।
इस रेस्टोरेंट में फिलहाल छह हाथी आते हैं। इस हाथियों के नाम जग्गा, मामा, उमा, कार्तिक, चंदू और शंकर है। हर हाथी के लिए एक अलग बूथ बनाया गया है जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया है। हाथियों को अपने-अपने बूथ की पहचान करना सिखाया गया है।
इन हाथियों को सुबह 8:30 बजे नाश्ता दिया जाता है जिसमें केला, नारियल, गाजर, गन्ना और तरबूज जैसे फल शामिल होते हैं। इससे पहले हाथियों को सुबह की सैर और हल्की कसरत कराई जाती है। दोपहर का भोजन दोपहर 1:30 से 2:30 बजे के बीच दिया जाता है। लंच में गेहूं, बाजरा, मक्का का आटा, कुलथी, गुड़, हल्दी, अरंडी का तेल और नमक मिला कर बनाया जाता है। इससे पहले हाथियों को एक घंटे तक नहलाया जाता है।
हालांकि रात का भोजन हाथी अपने घर यानि आरामगाह में करते हैं। संभागीय वन अधिकारी सारत बेहरा ने बताया कि हाथियों के लिए रेस्त्रां से अलग एक अलग आरामगाह है, जहां उन्हें रात भर खाने के लिए घास, पेड़ों की शाखाएं, केले के तने, पुआल आदि दिए जाते हैं। हाथियों के भोजन के लिए ग्रेनाइट की थाली का उपयोग किया जाता है। नंदा के अनुसार, ग्रेनाइट की थाली टिकाऊ होती हैं और इन्हें आसानी से धोया और साफ किया जा सकता है।
एक हाथी के प्रशिक्षण और भोजन पर रोजाना लगभग 1,500 रुपये खर्च होते हैं, जिसमें महावतों का वेतन भी शामिल है। यह रकम किसी बड़े शहर के महंगे रेस्टोरेंट में अच्छे भोजन के लिए भी पर्याप्त नहीं होगी। इन हाथियों को कुमकी हाथी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कुमकी हाथी जंगली हाथियों को काबू करने और जंगलों में बाघों की निगरानी के काम आते हैं। अधिकारियों के अनुसार, पड़ोसी जंगलों में बाघों की आबादी बढ़ रही है, इसलिए कुमकी हाथियों की आवश्यकता भी बढ़ रही है।
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