बीते मंगलवार (4 जून) को लोकसभा चुनाव के परिणाम आ गए। जिसमें NDA की सरकार को 292 सीटें मिली तो वहीं, दूसरी ओर I.N.D.I.A गठबंधन को 234 सीटें मिली।
सूत्रों के अनुसार, मोदी 8 जून को रात 8 बजे शपथ ले सकते हैं, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने लोकसभा चुनाव में 292 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक ने एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए 234 सीटें हासिल की हैं।
8 जून कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेकर भारत की कमान संभालने जा रहे हैं। बता दें कि नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पड़ोसी देशों के नेताओं को भी आमंत्रण भेजा जा चुका है।
2019 के लोकसभा चुनावों के बाद भारत ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बिम्सटेक देशों (BIMSTEC countries) के नेताओं को आमंत्रित किया था। बिम्सटेक एक क्षेत्रीय समूह है जिसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं।
2014 में जब मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के लिए शपथ ली थी, तो तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित सभी सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) नेताओं ने समारोह में भाग लिया था।
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बुधवार को भावी प्रधानमंत्री मोदी ने रानिल विक्रमसिंघे को फोन कर शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया, जिसे राष्ट्रपति यूएनपी ने स्वीकार कर लिया।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी फोन पर बातचीत की और दोनों नेताओं ने 'विकसित भारत 2047' और 'स्मार्ट बांग्लादेश 2041' के विजन को हासिल करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की बात कही।
शेख हसीना, जो एनडीए की जीत पर मोदी को बधाई देने वाले पहले विदेशी नेताओं में से थीं, ने उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', भूटानी प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ को भी आमंत्रित किए जाने की संभावना है।
2019 में आज नरेंद्र मोदी के साथ 24 केंद्रीय मंत्रियों ने शपथ ली थी। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति ने 24 राज्य मंत्रियों (MoS) और 9 MoS (स्वतंत्र प्रभार) को भी शपथ दिलाई गई थी।
इस बार मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों का अधिक प्रतिनिधित्व होने की संभावना है, क्योंकि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूक गई।
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