मतगणना के बाद अब तरह-तरह के समीकरण बनाए जा रहे हैं। एक समीकरण है कि कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में अब कोई मंत्री पद नहीं बचा है ऐसे में जो प्रत्याशी जीते हैं उनकी आस बंध गई है। सभी के नामों को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा के हाथ से बुंदेलखंड का बड़ा हिस्सा फिसल गया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। मतगणना के बाद अब तरह-तरह के समीकरण बनाए जा रहे हैं। एक समीकरण है कि कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में अब कोई मंत्री पद नहीं बचा है, ऐसे में जो प्रत्याशी जीते हैं उनकी आस बंध गई है। सभी के नामों को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा के हाथ से बुंदेलखंड का बड़ा हिस्सा फिसल गया है। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा और साध्वी निरंजन ज्योति भी हार चुकी हैं। ऐसे में उन्नाव के साक्षी महाराज, अकबरपुर के देवेंद्र सिंह भोले, फर्रुखाबाद के मुकेश राजपूत लगातार तीसरी जीत को लेकर चर्चा में हैं।
कन्नौज-इटावा बेल्ट में भाजपा को खासा नुकसान हुआ। फर्रुखाबाद सीट ही पार्टी किसी तरह बचा पाई है। यह बिंदु भी मुकेश राजपूत के नाम को मजबूत कर रहा है। वहीं, देवेंद्र सिंह भोले और साक्षी महाराज का नाम भी मंत्री पद के लिए चर्चा में है। इतना ही नहीं झांसी से जीते अनुराग शर्मा भी बुंदेलखंड में अकेले जीतने की वजह से मंत्री पद पाने के लिए गिने जा रहे नामों में आगे हैं।
पार्टी नेताओं के मुताबिक, बुंदेलखंड को फिर से मजबूत करने के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी भी जा सकती है। वहीं, कानपुर सीट से जीते रमेश अवस्थी की ऊपरी स्तर पर पहुंच का अहसास सभी को है। उन्हें अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही कई बार भाजपा नेताओं ने भावी मंत्री के रूप में संबोधित किया है।
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