नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में धूप की तपिश का आलम यह है कि मानो आसमान से आग बरस रहा हो। इसकी चपेट में आकर लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं। कई अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीज आ रहे हैं। सोमवार को राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में तीन मरीज आए जो हीट स्ट्रोक की वजह से बीमार हो गए थे।
इनमें से एक मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर है। बता दें कि ठंडे पानी का टब हीट स्ट्रोक का सबसे बड़ा सॉल्यूशन है। अगर किसी को हीट स्ट्रोक हो जाए और हीट की वजह 104 से 106 डिग्री तक फीवर हो जाए तो उसे पहले ठंडे पानी के टब में उतारें। जब तक फीवर कम नहीं हो, तब तक टब में रखें। अगर मरीज फीवर की वजह से बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाए तो ऐसे मरीज को ठंडे पानी की पट्टी देते हुए अस्पताल लेकर जाएं।
RML अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के डॉक्टर सीमा वासनिक ने कहा कि सोमवार को तीन मरीज हीट स्ट्रोक की वजह से इलाज के लिए आए। एक को दौरा पड़ने लगा था और बेहोशी की स्थिति में था। एक मरीज थर्ड फ्लोर पर रहता था और धूप की तपिश से तप गया था। वह पहले से ही पोलियो से पीड़ित है। कुल तीन मरीज में से एक अभी भी वेंटिलेटर पर है। डॉक्टर ने कहा कि हीट स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा गार्ड, सिक्यूरिटी गार्ड, सड़क किनारे काम करने वाले लोगों में है। अस्पताल में भर्ती तीन में दो मरीज सिक्यूरिटी गार्ड हैं।
LNJP अस्पताल के इमरजेंसी विभाग की प्रमुख डॉक्टर रितु सक्सेना ने कहा कि हीट की वजह से बीमार होकर इलाज के लिए मरीज आ रहे हैं। पिछले दो से तीन दिनों से रोजाना 5 से 6 मरीज आ रहे हैं। कुछ ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिन्हें हाई ग्रेड टेंप्रेचर हो रहा है। 104 तक फीवर हो रहा है। डॉक्टर ने कहा कि जिस प्रकार की स्थिति है, आने वाले दिनों में ऐसे मरीजों की संख्या में और इजाफा होगा।
डॉक्टर सीमा ने कहा कि जब हीट की वजह से फीवर हो, मरीज कंफ्यूज हो, दौरा पड़ने लगे, बेहोश हो जाए तो इस स्थिति का बहुत बुरा असर शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है। दिमाग, लंग्स, लिवर, किडनी यहां तक कि हार्ट पर भी असर होता है। शरीर गर्मी की वजह से डिहाइड्रेट हो जाता है। इसकी वजह से इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस खराब हो जाता है और हार्ट पर भी खतरा रहता है।
डॉक्टर सीमा ने कहा कहा कि अगर फीवर 104 से 106 है तो घर पर ही टब में बर्फ डालकर मरीज को उसमें उतारें। मुंह बाहर रखें। ठंडे पानी में 10 से 15 मिनट में फीवर कम हो जाता है। यह लाइफ सेविंग है। उन्होंने कहा कि गर्मी के लिए अस्पताल में ऐसे सिस्टम तैयार किए गए हैं और टब बनाए गए हैं। इसके अलावा मोबाइल टब भी है। अगर कहीं पर भीड़ है और वहां पर ऐसी स्थिति बन सकती है तो अस्पताल अपना एंबुलेंस भी भेज सकती है, जिसमें इस प्रकार का टब है कि वो मरीज को टब में रख सकता है।
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