नई दिल्ली: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में नौकरियों पर जोर रहने की उम्मीद है। इसके लिए प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना का विस्तार ऐसे सेक्टर्स में किया जा सकता है जिनमें लोगों को ज्यादा रोजगार मिलता है। इनमें फर्नीचर, खिलौने, फुटवियर और टेक्सटाइल्स शामिल हैं। टेक्सटाइल्स में और ज्यादा सेगमेंट्स को इस योजना में शामिल किया जा सकता है।
इसके साथ ही बजट में एमएसएमई सेक्टर, महिलाओं की आय का स्तर बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर जोर रह सकता है। इनमें से कई मुद्दे सरकार के 100 दिन के एजेंडे का भी हिस्सा हैं। इसके अलावा वित्त मंत्रालय मिडल क्लास के लिए भी कई तरह की रियायत देने पर विचार कर रहा है। ये रियायत हाउसिंग लोन के लिए ब्याज दर सब्सिडी के रूप में दी जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक बजट पर चर्चा अभी शुरुआती दौर में है और अभी विस्तृत विचार-विमर्श अभी शुरू होना बाकी है। मंत्रियों ने पिछले सप्ताह कार्यभार संभाला है, इसलिए बजट पर विस्तृत विचार-विमर्श अभी शुरू नहीं हुआ है। बजट से पूर्व सरकार विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत करती है। ये परामर्श इस सप्ताह शुरू होने वाले हैं। लेकिन अधिकारियों ने इसके लिए बहुत सारा ग्राउंटवर्क पहले ही कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने इन अधिकारियों को नई सरकार के 100 दिन के कामकाज का एजेंडा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अगले कुछ दिनों में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण अर्थशास्त्रियों, कृषि क्षेत्र के निर्यातकों, बाजार सहभागियों, बैंकरों और श्रमिक संघों के अलावा अन्य लोगों से मिलने वाली हैं।
सीतारमण शनिवार को राज्य के वित्त मंत्रियों से मुलाकात कर बजट पर उनकी राय लेंगी, उसके बाद दोपहर में जीएसटी परिषद की बैठक में शामिल होंगी। पीएलआई योजना का और अधिक क्षेत्रों में विस्तार करने का प्रस्ताव कुछ समय से विचाराधीन है। इनमें विशेष रसायन भी शामिल हैं। इस सेक्टर में यूरोपीय कंपनियां पीछे हट रही हैं। उनकी चिंता निवेश के आकार को लेकर है। विदेशी कंपनियां इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टता चाहती हैं।
एमएसएमई पैकेज का विवरण अभी तक तय नहीं हुआ है, लेकिन इसका उद्देश्य छोटी कंपनियों को मजबूत बनाना है। खेती-किसानी के बाद यह सेक्टर सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है। इसलिए बजट में इस पर खास जोर रहने की उम्मीद है। हाल में हुए लोकसभा चुनावों में रोजगार का मुद्दा प्रमुखता से उठा और कई जानकारों का मानना है कि इस मामले में व्यापक असंतोष के कारण बीजेपी बहुमत के आंकड़े से चूक गई। महिलाओं के लिए आय के स्तर को बढ़ाने और वर्कफोर्स में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए भी कई सुझाव दिए गए हैं।
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